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Nepal में जेल से निकला ‘सियासी बाजीगर’! क्या Ravi Lamichhane बनेंगे Oli के बाद नए PM?

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नेपाल में केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद सियासी भूचाल आ गया है। सोमवार से शुरू हुए जेन Z के प्रदर्शनों ने मंगलवार को उग्र रूप लिया। सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतरी जनता ने ओली को कुर्सी छोड़ने पर मजबूर कर दिया। इस बवाल में 22 लोग मारे गए और 300 से ज्यादा घायल हुए। अब प्रदर्शनकारी उन नेताओं को सत्ता सौंपना चाहते हैं जिन्हें ओली ने जेल में डाला था। खबर है कि पूर्व डिप्टी PM और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) के नेता रवि लामिछाने को प्रदर्शनकारियों ने जेल से छुड़ा लिया। रवि को कोऑपरेटिव घोटाले में बंद किया गया था लेकिन उनकी रिहाई ने सियासत में नया मोड़ ला दिया। काठमांडू मेयर बलेंद्र शाह के साथ रवि का नाम अगले PM के लिए जोरों पर है।

रवि लामिछाने: टीवी होस्ट से सियासी सितारा
रवि लामिछाने नेपाल के सबसे युवा और लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। वो पहले टीवी होस्ट थे और अपने शो ‘सीधा कुरा जनता सँग’ में भ्रष्टाचार और सामाजिक गलतियों को बेबाकी से उठाते थे। उनके शो को ‘आवाज बनो बेआवाजों की’ सम्मान मिला। जनता ने उन्हें खूब पसंद किया। 2022 में रवि ने सियासत में कदम रखा और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी बनाई। गांव-गांव घूमकर उन्होंने युवाओं को जोड़ा। पहले ही चुनाव में उनकी पार्टी ने 275 सीटों वाली संसद में 20 सीटें जीतीं जो किसी नई पार्टी के लिए रिकॉर्ड था। इसके दम पर वो सत्ता में आए और डिप्टी PM व गृहमंत्री बने।

नागरिकता विवाद ने डुबोई नैया
रवि की सियासी उड़ान को नागरिकता विवाद ने झटका दिया। 2007 से 2017 तक वो अमेरिकी नागरिक रहे। नेपाल का कानून दोहरी नागरिकता की इजाजत नहीं देता। रवि ने दावा किया कि 2018 में उन्होंने अमेरिकी नागरिकता छोड़ दी लेकिन नेपाली नागरिकता दोबारा लेने में चूक हो गई। 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सांसदी और मंत्रिपद छीन लिया। बाद में उन्होंने नेपाली नागरिकता दोबारा ली और अप्रैल 2023 में चितवन-2 से फिर जीत हासिल की। लेकिन कोऑपरेटिव घोटाले में ओली सरकार ने उन्हें अक्टूबर 2024 में जेल भेज दिया। रवि ने इसे सियासी साजिश बताया।

क्या रवि होंगे नेपाल का भविष्य?
प्रदर्शनकारियों का गुस्सा ओली के भ्रष्टाचार और चीन-परस्त नीतियों पर फूटा। रवि की रिहाई के बाद उनकी पार्टी RSP और समर्थक सड़कों पर हैं। लोग उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाला नया चेहरा मानते हैं। 21 RSP सांसदों ने सामूहिक इस्तीफा देकर संसद को अस्थिर करने की कोशिश की है। रवि का साफ छवि और युवा समर्थन उन्हें PM की रेस में आगे रखता है। भारत भी नेपाल के हालात पर नजर रखे है। क्या रवि नेपाल को नई दिशा देंगे? ये सवाल सबके मन में है।

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