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राज्यसभा की नई कमान अब Radhakrishnan के हाथों में, विपक्ष की रणनीति नाकाम, Maharashtra के गवर्नर ने INDIA Bloc को दी मात

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भारत को नया उपराष्ट्रपति मिल गया है. मंगलवार को हुए चुनाव में NDA उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे सीपी राधाकृष्णन ने जीत हासिल की. उन्होंने विपक्षी गठबंधन इंडिया (INDIA) के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी को हराया. राधाकृष्णन की जीत पहले से लगभग तय मानी जा रही थी क्योंकि NDA के पास संख्याबल साफ तौर पर मजबूत था.

क्यों हुआ चुनाव?
जुलाई में तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई. संसद के दोनों सदनों के सदस्य इस चुनाव में वोट डालने के लिए पात्र थे. कुल 788 सांसद वोट डाल सकते थे, लेकिन इस समय 7 सीटें खाली हैं. ऐसे में 781 सांसद वोटिंग के लिए योग्य थे और जीत के लिए 391 मतों की जरूरत थी.

NDA का पलड़ा भारी
NDA के पास कुल 293 लोकसभा सांसद और 129 राज्यसभा सदस्य हैं. वहीं इंडिया गठबंधन के पास 325 सांसदों का समर्थन था. इसके अलावा आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी NDA को समर्थन देकर उसका पलड़ा और भारी कर दिया. वाईएसआरसीपी के पास 11 सांसद हैं. यही वजह रही कि शुरुआत से ही राधाकृष्णन की जीत को लगभग पक्का माना जा रहा था.

विपक्ष का समीकरण नहीं चला काम
इंडिया गठबंधन ने सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया था और उम्मीद की थी कि विपक्षी एकजुटता से मुकाबला मजबूत होगा. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी रेड्डी को समर्थन दिया, लेकिन फिर भी ये आंकड़े NDA के सामने कमजोर पड़ गए.

कुछ दलों ने रखा दूरी
बीजू जनता दल (बीजेडी), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और शिरोमणि अकाली दल ने इस चुनाव से दूरी बनाई. खास बात ये रही कि अकाली दल (वारिस पंजाब दे) के सांसद सरबजीत सिंह खालसा और अमृतपाल सिंह ने चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया. अमृतपाल सिंह इस समय असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं, इसलिए वो वोटिंग में शामिल नहीं हो पाए.

क्या है उपराष्ट्रपति का रोल?
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं और संसद के ऊपरी सदन की कार्यवाही को संचालित करते हैं. इसके अलावा राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कई संवैधानिक जिम्मेदारियां भी निभाते हैं. सीपी राधाकृष्णन के सामने अब ये बड़ी जिम्मेदारी होगी कि वो राज्यसभा की कार्यवाही को निष्पक्ष और बेहतर तरीके से चलाएं.

नई पारी की शुरुआत
सीपी राधाकृष्णन लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं. वो अपने अनुभव और सादगी के लिए भी जाने जाते हैं. उपराष्ट्रपति बनने के बाद अब उनसे उम्मीद है कि वो सदन को और अधिक प्रभावी और सुचारू बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे.

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