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विरोध के अगले दिन Rahul Gandhi से बेटे का हैंडशेक, मंत्री ने सफाई में Congress की उड़ाईं धज्जियां

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रायबरेली से राजनीतिक ड्रामा थमने का नाम नहीं ले रहा। यूपी सरकार के उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने अपने बेटे पीयूष प्रताप सिंह की राहुल गांधी से हाथ मिलाते फोटो वायरल होने पर सफाई दी। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में कांग्रेसियों और आलोचकों पर जमकर निशाना साधा। कहा कि भाड़े के कांग्रेसी और कुछ बीजेपी आलोचक ये फोटो वायर करवा कर पार्टी लीडरशिप और कार्यकर्ताओं को नाराज करने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल गांधी ने बैठक में मौजूद लगभग सबको हाथ मिलाया था लेकिन सिर्फ उनके बेटे वाली फोटो को टारगेट बनाया जा रहा है। मंत्री ने जोर देकर कहा कि वो कभी अपने वोटरों और समर्थकों का झंडा नहीं झुकने देते। चुनाव हार गए लेकिन हौसला नहीं टूटा। ये पूरा मामला दिशा बैठक से जुड़ा है जहां एक दिन पहले ही मंत्री ने राहुल के काफिले का विरोध किया था।

विरोध से हैंडशेक तक
रायबरेली में राहुल गांधी के दौरे पर मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कड़ा विरोध जताया। उनके समर्थकों ने राहुल गांधी गो बैक के नारे लगाए और सड़क पर धरना दिया। मंत्री ने पीएम मोदी की मां के अपमान का मुद्दा उठाया और माफी की मांग की। लेकिन गुरुवार को जिला विकास समन्वय एवं अनुश्रवण समिति यानी दिशा बैठक में दोनों मौजूद थे। बैठक के बाद राहुल गांधी ने विधायकों और ब्लॉक प्रमुखों से हाथ मिलाना शुरू किया। इसमें हरचंदपुर ब्लॉक प्रमुख पीयूष प्रताप सिंह भी शामिल थे। फोटो में पीयूष राहुल से हाथ मिला रहे हैं और मंत्री दूर खड़े होकर मुस्कुरा रहे दिखे। ये फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई। लोग सवाल उठाने लगे कि विरोध करने वाले मंत्री का बेटा कैसे राहुल से मिला। मंत्री ने कहा कि राहुल ने सबके साथ हाथ मिलाया और ये अच्छी बात थी। लेकिन कांग्रेस के भाड़े मीडिया वर्कर्स ने सिर्फ उनके बेटे वाली फोटो को वायरल कर ट्रोलिंग की साजिश रची।

फेसबुक पोस्ट में तीखी सफाई
मंत्री ने फेसबुक पर लंबी पोस्ट लिखी। कहा कि राहुल गांधी ने बैठक के बाद सभी ब्लॉक प्रमुखों और विधायकों से हाथ मिलाया। उनके बेटे को शायद राहुल पहचानते भी नहीं होंगे। फिर भी आलोचक इस फोटो को वायरल कर जनता और पार्टी को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेसियों से कहा कि या तो तुम्हारी मजदूरी हावी है या पश्चिमी संस्कृति। दुख हुआ कि बेटे को हाथ न मिलाकर राहुल के पैर छूने चाहिए थे। इससे बीजेपी और रायबरेली के संस्कृति प्रेमी खुश होते। राहुल की उम्र उनके बेटे के पिता जितनी है तो सम्मान उसी स्तर का होना चाहिए। कांग्रेस की परवरिश और खून में अंतर है जो मोदी जी की मां और अपनी मां में फर्क समझते हैं। वैसे राहुल ने उनसे हाथ नहीं मिलाया लेकिन वो खड़े होकर अभिवादन किया। मंत्री ने कहा कि वो हमेशा अपनी पार्टी और सरकार का झंडा ऊंचा रखते हैं। मतदाताओं का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। चुनाव हारने से हौसला नहीं हारा। आखिर में हाथ जोड़कर कहा कि ये विषय खत्म हो और सब अपनी राह पर बढ़ें।

रायबरेली में BJP vs Congress 
ये घटना रायबरेली में सियासत को हवा दे रही है। मंत्री दिनेश प्रताप सिंह 2019 में सोनिया गांधी के खिलाफ लड़े थे और अब राहुल के खिलाफ मैदान में हैं। उनका परिवार पहले कांग्रेस में था लेकिन 2018 में बीजेपी में आ गया। बेटा पीयूष हरचंदपुर ब्लॉक प्रमुख हैं। राहुल गांधी ने दौरे पर विकास योजनाओं की समीक्षा की। मंत्री ने पुलिस पर भी राहुल को ज्यादा सुविधा देने का आरोप लगाया था। बीजेपी लीडरशिप को पत्र लिखा। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक स्टंट बताया। सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे विवाद लोकसभा चुनावों से पहले वोटरों को प्रभावित करेंगे। रायबरेली में ठाकुर, ब्राह्मण और ओबीसी वोटर अहम हैं। मंत्री की सफाई से विवाद थमने के बजाय और भड़क सकता है। यूपी की सियासत में ये नया ट्विस्ट सबकी नजरें खींच रहा है।

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