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Lucknow में बड़े जमीन घोटाले का खुलासा, Mulayam परिवार से जुड़े अधिकारी भी फंसें

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लखनऊ विकास प्राधिकरण की प्रियदर्शनी योजना के तहत भूखंड आवंटन में बड़े पैमाने पर अनियमितता का खुलासा हुआ है। इस मामले में उत्तर प्रदेश के सपा संस्थापक स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के समधन अंबी बिष्ट समेत कई अधिकारी फंस गए हैं। अंबी बिष्ट उस समय लविप्रा की संपत्ति अधिकारी थीं। वे मुलायम सिंह के बेटे प्रतीक यादव की सास हैं। प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव आज राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष हैं।

विजिलेंस ने दर्ज की FIR
सतर्कता अधिष्ठान यानी विजिलेंस ने इस मामले में अंबी बिष्ट, अनुभाग अधिकारी वीरेन्द्र सिंह, उप सचिव देवेन्द्र सिंह राठौर, वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट सुरेश विष्णु महादाणे और अवर वर्ग सहायक शैलेन्द्र कुमार गुप्ता समेत कई लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है। आरोप है कि इन सभी ने मिलकर लविप्रा की प्रियदर्शनी योजना में भूखंडों के आवंटन और पंजीकरण में गड़बड़ी की।

जांच में सामने आई गड़बड़ी की पूरी कहानी
मामले की शुरूआत 2016 में हुई जब शासन ने लखनऊ की प्रियदर्शनी और जानकीपुरम योजना के भूखंड आवंटन में अनियमितताओं की शिकायत मिलने पर विजिलेंस को खुली जांच के आदेश दिए। जांच में तत्कालीन लविप्रा के लिपिक स्वर्गीय मुक्तेश्वर नाथ ओझा की भूमिका पर भी सवाल उठे। जांच के दौरान अन्य कर्मचारियों की भी भूमिका सामने आई।  विशेष जांच टीम ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला की मदद से लविप्रा के कर्मचारियों के हस्ताक्षरों का मिलान कराया। इसके बाद गड़बड़ी के पुख्ता सबूत मिले।

अधिकारी कैसे बने आरोपी?
जांच में खुलासा हुआ कि अनुभाग अधिकारी वीरेन्द्र सिंह के हस्ताक्षर से भूखंड कब्जा पत्र जारी किए गए। उप सचिव देवेन्द्र सिंह के हस्ताक्षर से आवंटन पत्र बनाए गए। संपत्ति अधिकारी अंबी बिष्ट के हस्ताक्षर निबंधन प्रस्ताव और रजिस्ट्री विक्रय विलेख पर मिले। वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट सुरेश विष्णु महादाणे और अवर वर्ग सहायक शैलेन्द्र कुमार गुप्ता ने मुक्तेश्वर नाथ ओझा के साथ मिलकर फर्जी अभिलेख बनाए और भूखंडों की कीमत तय की।

भूखंड आवंटन में बड़ी गड़बड़ी का सच
इन सबके मिलकर योजना के भूखंडों के आवंटन में फेरबदल किया गया और उसके पंजीकरण में अनियमितता बरती गई। जांच रिपोर्ट ने साफ किया कि सभी आरोपितों की भूमिका इस घोटाले में अहम है। भ्रष्टाचार के इस मामले ने प्रशासन की विश्वसनीयता को झकझोर दिया है।
बता दें कि मुलायम सिंह यादव के परिवार से जुड़े होने की वजह से मामला राजनीतिक रूप भी ले चुका है। इस घोटाले की जांच से कई बड़े राज खुलने की संभावना है।

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