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जेल से आजम खान का सियासी शतरंज: मुरादाबाद-रामपुर में टिकट का ड्रामा, एसटी हसन को सजा का जख्म से लखनऊ में सियासत में भूचाल की कहानी

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उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल मची है। समाजवादी पार्टी (सपा) के दिग्गज नेता आजम खान के 23 महीने बाद जेल से बाहर आने से मुरादाबाद और रामपुर की सियासत फिर गरमा गई है। 2024 के लोकसभा चुनाव में आजम ने जेल से ही ऐसा खेल खेला कि सपा में अंदरूनी खींचतान सबके सामने आ गई। मुरादाबाद से सपा सांसद रहे डॉ. एसटी हसन का टिकट कटवाकर आजम ने अपनी करीबी रूचि वीरा को मैदान में उतारा। वहीं रामपुर में भी टिकट को लेकर खूब ड्रामा हुआ। आजम के इस दांव ने पार्टी में गुटबाजी को और हवा दी।

मुरादाबाद में टिकट का तमाशा
मुरादाबाद में 2019 में सपा के टिकट पर जीतने वाले एसटी हसन को 2024 में फिर उम्मीदवार बनाया गया। उन्होंने 26 मार्च को नामांकन भी दाखिल कर लिया। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब जेल में बंद आजम खान ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर दबाव बनाया। सूत्रों के मुताबिक, सितापुर जेल में अखिलेश से मुलाकात के दौरान आजम ने दो शर्तें रखीं: रामपुर से उनकी पसंद का उम्मीदवार हो या अखिलेश खुद लड़ें और मुरादाबाद से रूचि वीरा को टिकट मिले। रूचि, जो पहले बिजनौर से विधायक रह चुकी हैं, आजम की खास समर्थक मानी जाती हैं। 27 मार्च को रूचि लखनऊ पहुंचीं, अखिलेश से मिलीं और मुरादाबाद जाकर नामांकन दाखिल कर दिया। अगले ही दिन हसन का नामांकन रद्द हो गया और रूचि को सपा का आधिकारिक उम्मीदवार बना दिया गया। इस फेरबदल से सपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी फैल गई। सपा के राज्यसभा सांसद जावेद अली खान ने तंज कसते हुए कहा, “नवाबों के जमाने में भी मुरादाबाद रामपुर के अधीन नहीं था, लेकिन अब है।”

रामपुर में भी हंगामा
रामपुर, जो आजम खान का गढ़ रहा है, वहां भी टिकट को लेकर खूब बवाल हुआ। 2022 के उपचुनाव में आजम की अयोग्यता के बाद बीजेपी ने सीट छीन ली थी। 2024 में सपा ने दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मुहिबुल्लाह नदवी को उम्मीदवार बनाया, जो अखिलेश की पसंद थे। लेकिन आजम के समर्थक आसिम रजा ने भी नामांकन दाखिल कर दावा ठोका कि वो आजम के असली प्रतिनिधि हैं। जांच में आसिम का नामांकन रद्द हो गया क्योंकि उनके फॉर्म में खामियां थीं। आखिरकार नदवी ही सपा के उम्मीदवार बने।

एसटी हसन का छलका दर्द
आजम के जेल से बाहर आने पर एसटी हसन का दर्द छलक पड़ा। उन्होंने कहा, “टिकट कटने का दुख मेरे दिल में है। बिना गलती के सजा मिली। मैं इंसान हूं, फरिश्ता नहीं।” हसन ने आजम को अपना आदर्श बताया, लेकिन ये भी कहा कि वो उनसे मिलने जाएंगे या नहीं, ये वक्त बताएगा। हसन का मानना है कि उनकी जगह रूचि को थोपने में आजम का डर था कि हसन सपा में मुस्लिम चेहरा बनकर उभर सकते हैं।

आजम की रणनीति
जानकारों का कहना है कि आजम को डर था कि हसन उनके बाद सपा में बड़े मुस्लिम नेता बन सकते हैं। पहले आजम के करीबी रहे हसन हाल में जावेद अली खान के गुट के नजदीक आए थे। हसन ने इसे “बाहरी साजिश” करार दिया। रूचि वीरा, जो 2024 में मुरादाबाद से सांसद बनीं, ने बीजेपी के सर्वेश सिंह को 1.05 लाख वोटों से हराया। आजम के जेल से बाहर आने के बाद सपा की गुटबाजी फिर चर्चा में है।[]

क्या होगा आगे?  
आजम खान के बाहर आने से सपा में नई सियासी हलचल शुरू हो गई है। हसन और आजम के बीच दूरी साफ दिख रही है। रूचि वीरा के सांसद बनने से आजम का दबदबा कायम है, लेकिन सपा की अंदरूनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही।

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