Irfan Solanki को HC से राहत: गैंगस्टर केस में में बड़ा मोड़, जेल से रिहाई का रास्ता साफ!
- Ankit Rawat
- 25 Sep 2025 06:46:19 PM
समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत की खबर आई है। गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मामले में गुरुवार, 25 सितंबर 2025 को जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच ने उनकी जमानत मंजूर कर ली। उनके भाई रिजवान सोलंकी और सहयोगी इजराइल आटेवाला को भी जमानत मिली। दो साल से महाराजगंज जेल में बंद इरफान की रिहाई का रास्ता अब साफ हो गया है। ये फैसला सपा के लिए सियासी तौर पर भी अहम है।
जाजमऊ थाने का गैंगस्टर केस
कानपुर के जाजमऊ थाने में 26 दिसंबर 2022 को इरफान सोलंकी, रिजवान और इजराइल के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। तत्कालीन इंस्पेक्टर अशोक कुमार दुबे ने आरोप लगाया था कि इरफान ने गैंग बनाकर आम लोगों को डराकर आर्थिक फायदा उठाया। इस केस में 2 सितंबर 2025 को हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था। इरफान के वकील इमरान उल्लाह और विनीत विक्रम ने दलील दी कि उनके खिलाफ मामले राजनीतिक रंजिश के चलते दर्ज किए गए। साथ ही, अन्य मामलों में जमानत मिलने से गैंगस्टर केस में भी राहत की मांग की।
इरफान की कानूनी जंग
इरफान सोलंकी पिछले 24 महीनों से महाराजगंज जेल में बंद हैं। वो कानपुर की सीसामऊ सीट से सपा विधायक थे, लेकिन जाजमऊ में नजीर फातिमा के घर आगजनी के मामले में 7 जून 2024 को सात साल की सजा के बाद उनकी विधायकी रद्द हो गई। इस केस में 14 नवंबर 2024 को हाईकोर्ट ने जमानत दी, लेकिन सजा पर रोक नहीं लगाई, जिससे उनकी विधायकी बहाल नहीं हुई। उनकी पत्नी नसीम सोलंकी ने उपचुनाव में सीसामऊ सीट जीती।
अन्य मामलों में भी राहत
गैंगस्टर केस से पहले इरफान को मार्च 2025 में रंगदारी और 1 अक्टूबर 2024 को बांग्लादेशी नागरिक के फर्जी दस्तावेज बनाने के मामले में जमानत मिल चुकी है। उनके खिलाफ दो दर्जन से ज्यादा केस दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर में वो जमानत हासिल कर चुके हैं। वकील इमरान उल्लाह ने कहा कि गैंगस्टर केस में जमानत से इरफान जल्द जेल से बाहर आ सकते हैं, क्योंकि बाकी मामलों में राहत मिल चुकी है।
सियासी हलचल और भविष्य
इरफान की रिहाई सपा के लिए पश्चिम यूपी में नई जान फूंक सकती है। उनकी पत्नी के विधायक बनने और सपा के समर्थन से वो रामपुर और कानपुर में मजबूत चेहरा हैं। लेकिन सजा के चलते चुनाव लड़ने की पाबंदी उनके सियासी भविष्य पर सवाल उठाती है। क्या इरफान जेल से बाहर आकर सपा को नई ताकत देंगे? या कानूनी पचड़े उनके रास्ते की बाधा बनेंगे? ये सवाल यूपी की सियासत में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
बता दें कि हाईकोर्ट का ये फैसला इरफान के लिए कानूनी और सियासी तौर पर बड़ा मोड़ है। जेल से रिहाई के बाद वो सपा की रणनीति में कितनी अहम भूमिका निभाएंगे, ये देखना होगा। फिलहाल, उनके समर्थक इस फैसले से उत्साहित हैं और कानपुर में सपा की सक्रियता बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं।
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