Bihar Politics में मची हलचल! कौन है Tej Pratap Yadav का पावर बैंक, भाई Tejashwi के खिलाफ क्यों छेड़ दी जंग?
- Ankit Rawat
- 30 Sep 2025 11:52:36 PM
बिहार की राजनीति में लालू परिवार हमेशा से सुर्खियों में रहा है। लेकिन इस बार चर्चा का केंद्र पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव बन गए हैं। तेज प्रताप अब विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर गंभीर दिखाई दे रहे हैं और उन्होंने अपने छोटे भाई और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। यह कदम न सिर्फ परिवार की राजनीति में दरार को उजागर कर रहा है, बल्कि बिहार की पूरी चुनावी फिज़ा पर असर डाल सकता है।
तेज प्रताप की नई पार्टी
तेज प्रताप यादव ने ‘जनशक्ति जनता दल’ नाम से नई पार्टी बना कर 2025 के चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि वो महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। तेज प्रताप का दावा है कि महुआ की जनता उनके साथ खड़ी है और अगर वहां कोई दूसरा उम्मीदवार उतरेगा तो जनता उसे हराकर बाहर कर देगी। तेज प्रताप का ये आत्मविश्वास बता रहा है कि वे सिर्फ अपनी सीट पर नहीं, बल्कि पूरे राज्य की राजनीति में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में हैं।
तीसरे मोर्चे की तलाश
तेज प्रताप यादव जानते हैं कि अकेले दम पर चुनाव जीतना आसान नहीं होगा। इसलिए उन्होंने थर्ड फ्रंट की राजनीति का इशारा भी दे दिया है। चर्चा है कि अगर उन्हें AIMIM या बसपा जैसी पार्टियों का साथ मिला तो बिहार में तीसरा मोर्चा बन सकता है। इस गठजोड़ से तेज प्रताप न सिर्फ महागठबंधन को चुनौती देंगे बल्कि एनडीए के लिए भी समीकरण बदल सकते हैं।
कौन है तेज प्रताप का पावर बैंक?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि तेज प्रताप यादव को ताकत कौन दे रहा है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि उनके पीछे किसी मजबूत राजनीतिक दल का हाथ है। अभी उन्होंने किसी के साथ गठबंधन की घोषणा नहीं की, लेकिन जिस तरह वो आत्मविश्वास के साथ बयान दे रहे हैं, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि कोई बड़ी ताकत उनके पीछे खड़ी है।
यानी तेज प्रताप का यह कदम अचानक नहीं बल्कि सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
लालू परिवार में खींचतान
लालू प्रसाद यादव का परिवार हमेशा बिहार की राजनीति में सबसे ताकतवर माना जाता रहा है। लेकिन अब परिवार के अंदर ही महत्वाकांक्षाएं टकराने लगी हैं। तेज प्रताप यादव का पार्टी से बाहर होना उनकी निजी जिंदगी और विवादों की वजह से हुआ था। लालू यादव ने मजबूरी में उन्हें किनारे किया ताकि पार्टी की छवि पर असर न पड़े। लेकिन अब तेज प्रताप ने अलग राह चुनकर परिवार की खींचतान को और गहरा कर दिया है। मीसा भारती और रोहिणी आचार्य कई मौकों पर तेज प्रताप का समर्थन करती दिखीं। इस वजह से भी परिवार के भीतर एक खेमेबाज़ी साफ नजर आ रही है।
महागठबंधन पर पड़ सकता है सीधा असर
तेज प्रताप यादव की नई पार्टी भले ही बिहार में बहुत ज्यादा सीटें न जीत पाए, लेकिन महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सकती है। राजद के वोट बैंक में सेंध लगना तय है। जिन सीटों पर कड़ा मुकाबला होगा, वहां तेज प्रताप फैक्टर बड़ा असर डाल सकता है। इससे एनडीए को अप्रत्यक्ष फायदा मिल सकता है। राजनीति का यही खेल है कि कभी-कभी छोटे फैक्टर भी बड़े नतीजे ला देते हैं।
तेज प्रताप बनेंगे पावर सेंटर या सिर्फ फैक्टर?
तेज प्रताप यादव खुद को अब सिर्फ लालू यादव के बड़े बेटे के रूप में पेश नहीं करना चाहते। उनकी कोशिश है कि वो खुद को पावर सेंटर के तौर पर स्थापित करें। लेकिन सवाल यही है कि जनता और साथी दल उन्हें कितना गंभीरता से ले पाते हैं। अगर उन्हें किसी बड़े राजनीतिक दल या गठबंधन का समर्थन मिलता है तो तेज प्रताप 2025 के चुनाव में निर्णायक फैक्टर बन सकते हैं। बहरहाल तेज प्रताप यादव ने अपनी राजनीति की नई पारी शुरू कर दी है। अब देखना यह है कि उनका पावर बैंक कौन साबित होता है और भाई बनाम भाई की यह जंग बिहार की राजनीति में कितना बड़ा बदलाव लाती है।
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