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इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी का वो दौर जिसने पूरी राजनीति हिला दी, पढ़िए 16 घंटे की कैद और हथकड़ी लगाने की जिद का किस्सा

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आज से ठीक 48 साल पहले 3 अक्टूबर 1977 को भारतीय राजनीति का एक ऐसा पल आया था जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया। ये घटना उस वक्त की जनता पार्टी सरकार के लिए भारी पड़ गई और राजनीति का नक्शा बदल गया। आइए जानते हैं कैसे हुई थी ये गिरफ्तारी और इंदिरा गांधी ने इसे कैसे अपने पक्ष में मोड़ा

क्यों हुई थी इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी?
3 अक्टूबर 1977 को इंदिरा गांधी को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उन पर आरोप था कि 1977 के लोकसभा चुनाव के दौरान रायबरेली में 100 से ज्यादा जीपें खरीदी गईं थीं। जिनका भुगतान कांग्रेस की बजाय कुछ उद्योगपतियों ने किया था। साथ ही उन पर सरकारी धन के गलत इस्तेमाल का शक भी था। उस वक्त केंद्र में जनता पार्टी की सरकार थी जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई कर रहे थे और गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह थे। गिरफ्तारी की तारीख तय करने में काफी मशक्कत हुई और आखिर में सीबीआई ने एफआईआर की कॉपी दिखाकर इंदिरा गांधी को गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तारी के बाद क्या हुआ?
गिरफ्तारी के बाद इंदिरा गांधी को सबसे पहले फरीदाबाद के बड़कल लेक गेस्ट हाउस ले जाया गया। वहां से उन्हें दिल्ली के किंग्सवे कैंप भेजा गया। बताया जाता है कि इंदिरा गांधी ने इस गिरफ्तारी को राजनीतिक ड्रामे में बदलने की कोशिश की। उन्होंने खुद ही हथकड़ी पहनाने की मांग की ताकि जनता के बीच उनके लिए सहानुभूति बढ़े।

कोर्ट में हुआ बड़ा ड्रामा
4 अक्टूबर की सुबह इंदिरा गांधी को कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। कोर्ट में सीबीआई के पास कोई ठोस सबूत नहीं था। मजिस्ट्रेट ने साफ कहा कि गिरफ्तारी के लिए पुख्ता आधार नहीं है। ये सुनते ही कोर्ट में मौजूद सभी हैरान रह गए। महज 16 घंटे बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।

जनता पार्टी के लिए बड़ा झटका
इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी से लेकर रिहाई तक की ये पूरी घटना ‘ऑपरेशन ब्लंडर’ के नाम से जानी जाती है। इस मामले ने जनता पार्टी सरकार की सबसे बड़ी चूक साबित हुई। लोगों को लगा कि ये गिरफ्तारी राजनीतिक बदले की भावना से की गई। इससे इंदिरा गांधी के प्रति जनता में सहानुभूति बढ़ी जो आगे चलकर उनकी 1980 में जबरदस्त वापसी का कारण बनी।

इंदिरा की राजनीति में वापसी
1975 में जब इमरजेंसी लगी थी तब देश में इंदिरा गांधी और उनकी पार्टी के खिलाफ काफी गुस्सा था। 1977 के लोकसभा चुनाव में जनता ने उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया। लेकिन जेल में बिताए गए समय और गिरफ्तारी के बाद इंदिरा गांधी का जनाधार फिर से मजबूत हुआ। महज तीन साल बाद 1980 में इंदिरा गांधी ने भारी बहुमत के साथ फिर से प्रधानमंत्री बनने का रास्ता बनाया। इस तरह उन्होंने अपने विरोधियों की सारी उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया।

आखिर क्यों याद किया जाता है ये पल?
3 अक्टूबर 1977 की गिरफ्तारी आज भी भारतीय राजनीति में एक बड़ा मोड़ माना जाता है। ये घटना दर्शाती है कि कैसे एक नेता ने मुश्किल वक्त में भी हिम्मत नहीं हारी और उसे अपनी ताकत बना लिया। इंदिरा गांधी ने साबित किया कि राजनीति में गिरना और उठना सामान्य बात है लेकिन सही वक्त पर वापसी ही असली जीत होती है।

बता दें कि इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी और 16 घंटे की कैद ने भारत की राजनीति का नक्शा बदल दिया। हथकड़ी लगाने की जिद से लेकर कोर्ट में ड्रामा तक का ये पूरा किस्सा बताता है कि कैसे इंदिरा ने हर संकट को अपने पक्ष में मोड़ा। उनकी वापसी ने साबित किया कि राजनीति में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।

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