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Bengal में BJP नेताओं पर हमले के बाद बढ़ा सियासी पारा, PM Modi भड़के, Mamata ने दिया करारा जवाब

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पश्चिम बंगाल में बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे भाजपा नेताओं पर हुए हमले के बाद राजनीति गरमा गई है। जलपाईगुड़ी के नागराकाटा इलाके में भाजपा सांसद खगेन मुर्मू और विधायक डॉ. शंकर घोष पर उस समय पथराव हुआ जब वो बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित लोगों को राहत सामग्री बाँट रहे थे। इस घटना में मुर्मू घायल हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की तीखी निंदा की है और इसे राज्य की "दयनीय कानून-व्यवस्था" और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की "असंवेदनशीलता" का उदाहरण बताया।

PM बोले- हिंसा के बजाय मदद पर ध्यान देती टीएमसी 
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा, “हमारे पार्टी कार्यकर्ता, जिनमें एक सांसद और विधायक भी शामिल हैं, जब बाढ़ पीड़ितों की सेवा कर रहे थे, तब उन पर हमला हुआ। ये घटना बेहद भयावह है और ये टीएमसी की असंवेदनशीलता के साथ-साथ राज्य की खराब कानून व्यवस्था को दिखाती है।” उन्होंने आगे कहा, “काश, बंगाल सरकार और टीएमसी ऐसी आपदा के समय हिंसा की बजाय लोगों की मदद पर ध्यान देतीं।” प्रधानमंत्री ने भाजपा कार्यकर्ताओं से राहत कार्य जारी रखने का आग्रह भी किया।

ममता बनर्जी का पलटवार
प्रधानमंत्री की टिप्पणी के कुछ घंटों बाद ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने बिना किसी जांच के सीधे राज्य सरकार और टीएमसी को जिम्मेदार ठहराकर संवैधानिक मूल्यों का अपमान किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “जब पूरा प्रशासन राहत और बचाव में जुटा था, तब भाजपा नेता बिना सूचना के, कारों के लंबे काफिले के साथ और केंद्रीय सुरक्षा बलों की मौजूदगी में क्षेत्र में पहुंचे। ऐसे में राज्य सरकार को कैसे दोषी ठहराया जा सकता है?”

ममता की तीखी टिप्पणी
ममता ने प्रधानमंत्री पर यह भी आरोप लगाया कि वो बंगाल को उत्तर और दक्षिण में बांटने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने लिखा, “भाजपा चुनाव से पहले लोगों का ध्रुवीकरण करने के लिए बार-बार उत्तर बनाम दक्षिण बंगाल का पुराना खेल खेल रही है। लेकिन बंगाल भावनात्मक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से एक है।” उन्होंने आगे लिखा, “आप भारत के प्रधानमंत्री हैं, सिर्फ भाजपा के नहीं। कृपया सिर्फ पार्टी सहयोगियों की बात न सुनें, चुनी हुई राज्य सरकार की भी सुनिए।”

मणिपुर को लेकर भी उठाए सवाल
मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी पर मणिपुर हिंसा को लेकर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जिस प्रधानमंत्री ने मणिपुर हिंसा के 964 दिन बाद राज्य का दौरा किया, वो अब अचानक बंगाल को लेकर चिंता जता रहे हैं। उन्होंने इसे "राजनीतिक अवसरवाद" करार दिया।

सियासी तनाव बढ़ा
जहां एक तरफ दोनों बड़े नेता आरोप-प्रत्यारोप में जुटे हैं, वहीं असली ज़रूरत उन हजारों बाढ़ पीड़ितों की है जो अभी भी मदद का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सियासत से ऊपर उठकर सभी पक्ष मिलकर राहत कार्य को प्राथमिकता देंगे? जिस तरह की राज्य की कानून व्यवस्था बिगाड़ने का ये मामला सामने आया उसके बाद कहीं न कहीं सख्त रूप अपनाने की बेहद जरूरत है।

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