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Mayawati ने किया बड़ा ऐलान, BSP अकेले लड़ेगी 2027 UP चुनाव, गठबंधन से किया साफ इनकार

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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने लखनऊ में एक बड़ी रैली के दौरान साफ कर दिया कि पार्टी आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 में किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी क्योंकि गठबंधन से बसपा को कभी फायदा नहीं मिला।

गठबंधन में बसपा को हुआ नुकसान
मायावती ने कहा कि पिछली बार गठबंधन में बसपा के वोट सहयोगी दलों को चले गए जबकि बसपा को कोई लाभ नहीं मिला। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऊंची जाति वाले सहयोगी दल बसपा के वोटरों को अपने पक्ष में नहीं कर पाते हैं। इस वजह से बसपा के उम्मीदवार कम सीटें जीतते हैं और कुल वोट प्रतिशत भी गिरता है।

गठबंधन सरकारें पूरी नहीं कर पाईं कार्यकाल
बसपा प्रमुख ने कहा कि जब भी पार्टी ने यूपी में गठबंधन सरकार बनाई, वो अक्सर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। उन्होंने कहा कि गठबंधन से पार्टी का वोट प्रतिशत गिरता है और सरकारें समय से पहले गिर जाती हैं। इसलिए बसपा अकेले चुनाव लड़कर अपनी ताकत दिखाएगी।

मायावती ने 1993 में समाजवादी पार्टी और 1996 में कांग्रेस के साथ गठबंधन का उदाहरण दिया जब बसपा को सिर्फ 67 सीटें मिलीं। उन्होंने बताया कि ये गठबंधन बसपा के लिए लाभकारी साबित नहीं हुए। इसके उलट 2002 में अकेले चुनाव लड़ने पर बसपा को लगभग 100 सीटें मिलीं और पार्टी का मनोबल बढ़ा।

2007 में मिली बड़ी जीत
बसपा की सबसे बड़ी जीत 2007 में आई जब पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा और 200 से ज्यादा सीटें जीतीं। मायावती ने बताया कि तब पहली बार बसपा ने पूरी तरह से बहुमत हासिल कर सरकार बनाई और पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। इस दौरान समाज के हर वर्ग के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए गए।

गठबंधन ने बसपा के मिशन को किया कमजोर
मायावती ने तर्क दिया कि गठबंधन न सिर्फ पार्टी को कमजोर करते हैं बल्कि समावेशी विकास की राह में भी बाधा बनते हैं। उनका कहना था कि गठबंधन से पार्टी के आंदोलन और मिशन को नुकसान पहुंचता है, इसलिए अब बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी।

कांशीराम की पुण्यतिथि पर हुई बड़ी रैली
बसपा प्रमुख का ये ऐलान कांशीराम की पुण्यतिथि पर आयोजित रैली में आया जिसमें पूरे उत्तर प्रदेश से लाखों समर्थक मौजूद थे। मायावती ने समर्थकों से उम्मीद जताई कि 2027 के चुनाव में पार्टी फिर से अकेले लड़कर शानदार प्रदर्शन करेगी।

मायावती का ये फैसला यूपी की सियासत में बड़ा मोड़ साबित होगा। पार्टी के अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति आगामी चुनाव में खासा ध्यान आकर्षित करेगी। कई सालों के अनुभव के बाद बसपा ने गठबंधन से दूर रहना ही बेहतर समझा है। देखना होगा कि क्या ये कदम पार्टी को फिर से सत्ता की राह दिखाता है या नहीं।

बता दें कि बसपा के इस ऐलान से साफ हो गया कि यूपी चुनाव 2027 में मायावती और उनकी पार्टी की रणनीति में बदलाव आया है। अब पार्टी सिर्फ अपने दम पर ही मैदान में उतरेगी और अपने वोट बैंक को मजबूत बनाने पर फोकस करेगी।

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