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क्या अखिलेश यादव ने सीएम योगी को कहा घुसपैठिया? क्या है बयान का मतलब

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान के बाद राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। शाह ने घुसपैठ और मुस्लिम आबादी में असमान वृद्धि को लेकर चिंता जताई थी, जिस पर अब समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने तीखा जवाब दिया है। उन्होंने भाजपा पर फर्जी आंकड़े फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन आंकड़ों पर भरोसा करना खुद को बर्बाद करने जैसा है।

मीडिया से बात करते हुए अखिलेश ने कहा, “भाजपा के पास फर्जी आंकड़े हैं। अगर आप भाजपा के आंकड़ों पर विश्वास करेंगे तो बर्बाद हो जाएंगे। हमारे यहां उत्तर प्रदेश में भी घुसपैठिए हैं। मुख्यमंत्री खुद उत्तराखंड से हैं। हम चाहते हैं कि उन्हें उत्तराखंड भेज दिया जाए... तो बताइए, भाजपा में घुसपैठिए हैं या नहीं?”
इस बयान के बाद सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है।

अमित शाह ने क्या कहा था?
हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने कहा कि “1951 से 2011 के बीच जनगणनाओं में सभी धर्मों की जनसंख्या में असमान वृद्धि देखी गई है, जो मुख्य रूप से घुसपैठ की वजह से है।”

उन्होंने दावा किया कि हिंदू आबादी घटी है....मुस्लिम आबादी बढ़ी है। ये फर्क सिर्फ जन्म दर की वजह से नहीं, बल्कि घुसपैठ की वजह से हुआ है। 

शाह ने कहा कि “1951 में हिंदू आबादी 84% थी और मुस्लिम आबादी 9.8% थी। 2011 में हिंदू आबादी 79% और मुस्लिम आबादी 14.2% हो गई। अगर हम घुसपैठ को नहीं रोकेंगे तो अपनी संस्कृति, भाषा और स्वतंत्रता को सुरक्षित नहीं रख पाएंगे।”

ओवैसी ने भी किया करारा पलटवार
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी शाह पर सीधे तौर पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “अमित शाह बार-बार झूठ बोल रहे हैं। 1951 से लेकर 2011 की जनगणनाओं में मुस्लिम आबादी में केवल 4.4% की बढ़ोतरी हुई है। उनका गणित कमजोर है।”

ओवैसी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत जनसंख्या को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। कभी कहते हैं एक समुदाय की आबादी बढ़ रही है और कभी तीन बच्चे पैदा करने की सलाह देते हैं। ओवैसी ने पूछा कि अगर मुस्लिमों की आबादी इतनी ही तेजी से बढ़ रही है तो शिक्षा, रोजगार और सरकारी नौकरी में उनकी हिस्सेदारी क्यों नहीं बढ़ी?

क्या 'घुसपैठ' राजनीति का नया हथियार बन रही है?
भाजपा लंबे समय से जनसंख्या असंतुलन और घुसपैठ जैसे मुद्दों को उठाती रही है। लेकिन विपक्ष अब इन दावों को "धार्मिक ध्रुवीकरण" की राजनीति बता रहा है। अखिलेश और ओवैसी दोनों ने इसे भाजपा की सियासी चाल बताया है। विपक्ष का कहना है कि ये बयान केवल आने वाले चुनावों में फायदा उठाने के लिए दिए जा रहे हैं। वहीं, भाजपा इन आंकड़ों को देश की सुरक्षा और संस्कृति से जुड़ा मसला बता रही है।

बता दें कि अभी तक तो ये साफ है कि "जनसंख्या" और "घुसपैठ" जैसे मुद्दों पर सियासत और तेज़ होने वाली है। अमित शाह के बयान ने जहां भाजपा समर्थकों को नया मुद्दा दे दिया है, वहीं विपक्ष इसे झूठा प्रोपेगेंडा बताकर हमला बोल रहा है। अब देखना है कि देश की जनता इन आंकड़ों को राजनीति मानेगी या सच्चाई।

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