Ayodhya में दीपोत्सव पर Akhilesh Yadav ने दे डाला ऐसा बयान, जिससे Bjp हो गई खफा !
- Ankit Rawat
- 18 Oct 2025 11:54:06 PM
अयोध्या में भव्य दीपोत्सव समारोह से पहले समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने दीये और मोमबत्तियां जलाने पर भारी रकम खर्च करने की ज़रूरत पर सवाल उठाकर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया। वहीं बीजेपी ने अखिलेश यादव की टिप्पणी पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी का राम मंदिर आंदोलन का विरोध करने और हिंदू विरोधी बातें फैलाने का इतिहास रहा है।
अखिलेश यादव ने क्या कहा?
यादव ने कहा, "पूरी दुनिया में, क्रिसमस के दौरान सभी शहर जगमगा उठते हैं और यह सिलसिला महीनों तक चलता है। हमें उनसे सीखना चाहिए। हमें दीयों और मोमबत्तियों पर पैसा क्यों खर्च करना पड़ता है और इसके लिए इतना सोचना क्यों पड़ता है?" उन्होंने आगे कहा "हम इस सरकार से क्या उम्मीद कर सकते हैं? इसे हटा देना चाहिए। हम ये तय करेंगे कि यहां और भी खूबसूरत लाइटें हों।"
बीजेपी प्रवक्ता ने जताई नाराजगी
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने यादव की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा "राम मंदिर आंदोलन का विरोध करने, अयोध्या को वर्षों तक अंधेरे में रखने और राम भक्तों पर हमला करने में गर्व महसूस करने वाली पार्टी अब दीपोत्सव के लिए शहर की सजावट का विरोध कर रही है।" उन्होंने आगे कहा, "जब उन्होंने सैफई उत्सव मनाया जिससे आम लोगों को कोई फ़ायदा नहीं हुआ तो उन्हें गर्व महसूस हुआ। लेकिन अयोध्या में जहां हज़ारों छोटे विक्रेता रोज़ी-रोटी कमा रहे हैं, कुछ लोग असंतोष व्यक्त कर रहे हैं।"
इस बार का अयोध्या दीपोत्सव
अयोध्या के दीपोत्सव का नौवां संस्करण एक बार फिर शहर को भक्ति, संगीत और अत्याधुनिक तकनीक के मिश्रण से बदल रहा है। 17 अक्टूबर से शुरू हुआ यह उत्सव कल सरयू नदी के किनारे 56 घाटों पर 26,11,101 दीयों के प्रज्वलन के साथ अपने चरम पर पहुंचेगा। जो शहर में आस्था के इस जीवंत उत्सव में एक नया आयाम स्थापित करेगा।
दीपोत्सव में 26 लाख दीये जलाए जाएंगे, 2,100 वैदिक विद्वान मौजूद रहेंगे। 1,100 ड्रोन और 33,000 स्वयंसेवक अनुशासन और सामूहिक भक्ति के एक अद्भुत प्रदर्शन में एक साथ आएंगे।
कब से हुई दीपोत्सव की शुरुआत
2017 में 1.71 लाख दीयों के साथ इसकी शुरुआत के बाद से यह उत्सव पंद्रह गुना बढ़ गया है। जो न केवल इसके रिकॉर्डतोड़ आकार का प्रतीक है बल्कि समुदाय और आध्यात्मिकता के बीच गहराते संबंध का भी प्रतीक है।
इस साल उत्सव राम की पैड़ी से आगे बढ़कर राजघाट, गुप्तारघाट और लक्ष्मण किला घाट जैसे नव विकसित घाटों तक भी पहुंचेगा।
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