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Begusarai रैली में PM Modi ने Chirag Paswan को किया साइड लाइन, मंच पर दिखी सियासी दूरी! आखिर क्यों

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अक्टूबर को समस्तीपुर से अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की। कार्यक्रम के दौरान अनाउंसर ने केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान का नाम भाषण देने के लिए पुकारा। तभी प्रधानमंत्री ने पास बैठे नीतीश कुमार की ओर इशारा करते हुए कहा कि चिराग नहीं बल्कि नीतीश बोलेंगे। इसके तुरंत बाद अनाउंसर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मंच पर आमंत्रित किया। इसके बाद नीतीश कुमार ने लगभग 10 मिनट का भाषण दिया। जिसके बाद प्रधानमंत्री ने अपना भाषण शुरू किया। चिराग को दोबारा बोलने के लिए नहीं बुलाया गया।

बेगूसराय और समस्तीपुर, दोनों रैलियों में प्रधानमंत्री ने दर्शकों से अपने मोबाइल की टॉर्च जलाने को कहा। उन्होंने पूछा, "हाथों में इतनी रोशनी होने के बावजूद, क्या अब भी लालटेन की ज़रूरत है?" प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस के राज में मोबाइल फ़ोन बहुत महंगे थे और उन्हें आयात करना पड़ता था। उस समय मोबाइल फ़ोन बनाने वाली सिर्फ़ दो फैक्ट्रियां थीं, जबकि अब 200 से ज़्यादा फैक्ट्रियां हैं। उन्होंने आगे कहा कि एनडीए सरकार में डेटा सस्ता है, जिससे युवाओं को कंटेंट निर्माण के नए अवसर मिल रहे हैं। उन्होंने कहा, "आज बिहार में हर कोई इस मोबाइल की रोशनी और चमक को देख सकता है।"

छठ व्रती महिलाओं को बांटे सूप
बेगूसराय में प्रधानमंत्री ने मंच पर छठ व्रती महिलाओं को सूप बांटे और गायिका शारदा सिन्हा को याद किया। मंच पर उचित रोशनी न होने के चलते केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने माइक्रोफ़ोन लेते हुए अनुरोध किया, "कृपया मंच पर जल्दी से रोशनी की व्यवस्था करें।"

'लाठी-डंडे का गठबंधन' 
प्रधानमंत्री ने कहा, "चुनाव की घोषणा के बाद से हम सब देख रहे हैं। एक तरफ एनडीए है, जिसमें चिराग जी, कुशवाहा जी और नीतीश जी जैसे समझदार नेता हैं। दूसरी तरफ 'लाठी-डंडे वाला महागठबंधन' है। इस महागठबंधन में अटके हुए, लटके हुए, झटके खाए हुए और उछाले जा रहे दल शामिल हैं।

'दो दशक से नहीं जीती राजद' 
उन्होंने कहा कि राजद ने पिछले दो दशकों में कोई चुनाव नहीं जीता है, लेकिन वह अपने अहंकार में डूबा हुआ है। इसी अंधेरे में झामुमो को किनारे कर दिया गया। कांग्रेस जो 35 सालों से बिहार में राजद की अनुयायी रही है, उसे भी इस बार राजद ने किनारे कर दिया। वीआईपी को किनारे कर दिया गया। वामपंथी दल भी लटके हुए रह गए। जब स्वार्थ हावी होता है, तो लूट-खसोट हावी हो जाती है।"

याद किया जंगलराज का दौर
जंगलराज के दौर को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "हत्या, रंगदारी, डकैती और धमकियों के दौर ने बिहार के कारखानों पर ताले लगा दिए थे। ये ताले सिर्फ़ कारखानों पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी लगे थे। बेगूसराय-बरौनी एक दशक पीछे चला गया। जिस राजद ने बिहार पर सबसे बड़ा पलायन संकट थोपा, उसके नेता आज बड़े-बड़े बयान दे रहे हैं।"

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