BSP सुप्रीमो का 'मुस्लिम ब्रदरहुड', 36 मुस्लिम नेताओं के साथ की रणनीतिक बैठक
- Ankit Rawat
- 29 Oct 2025 06:50:23 PM
बसपा सुप्रीमो मायावती अब मुस्लिम वोट बैंक पर ध्यान केंद्रित करने जा रही हैं। उन्होंने बुधवार को लखनऊ में प्रदेश भर के मुस्लिम समाज ब्रदरहुड संगठन के मंडल स्तरीय पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। 25 अक्टूबर को ही मायावती ने प्रदेश में मुस्लिम ब्रदरहुड संगठन के मंडल प्रभारियों के नामों की घोषणा की थी। अब वह सीधे उन्हें संगठनात्मक दिशा-निर्देश देंगी। बूथ स्तर तक जाकर हर मतदाता का नाम विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में कैसे जुड़वाया जाए और पार्टी को कैसे मज़बूत किया जाए?
एक महीने में चौथा बड़ा आयोजन
पिछले एक महीने में ये बसपा का चौथा बड़ा आयोजन है। इससे पहले 9 अक्टूबर को दलित समाज से जुड़ा एक कार्यक्रम हुआ था। 16 और 19 अक्टूबर को यूपी-उत्तराखंड और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठकें हुई थीं। अब मुस्लिम ब्रदरहुड कमेटी की बैठक 29 अक्टूबर और ओबीसी ब्रदरहुड कमेटी की बैठक 1 नवंबर को होनी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मायावती 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सोशल इंजीनियरिंग 2.0 को धार देने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। बसपा ने 2007 में ब्राह्मण, ओबीसी और मुस्लिम ब्रदरहुड कमेटियों के बूथ-स्तरीय नेटवर्क के ज़रिए सत्ता हासिल की थी।
मुसलमानों से जुड़ने का फॉर्मूला बताएंगी
सूत्रों के अनुसार मायावती आज की बैठक में मुस्लिम पदाधिकारियों को ज़िम्मेदारियां सौंपेंगी। वह बताएंगी कि कैसे अपने समुदाय को पार्टी से जोड़ा जाए और SIR में सक्रियता दिखाते हुए हर मुस्लिम मतदाता का नाम सुनिश्चित किया जाए। 25 अक्टूबर को उन्होंने अयोध्या मंडल में मोहम्मद असद और लखनऊ में सरवर मलिक को मंडल समन्वयक नियुक्त किया। सभी 18 मंडलों में मुस्लिम भाईचारा समितियों का गठन कर दिया गया है। मायावती अब ज़िला और विधानसभा स्तर पर इन्हें मज़बूत करने के निर्देश देंगी। उनका लक्ष्य जनवरी 2026 से पहले सभी समुदायों की भाईचारा समितियों का गठन पूरा करना है।
बसपा का ध्यान अब पीडीए समीकरण पर भी है। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, "जब बसपा ने सपा के साथ सरकार बनाई थी तब उसका आधार दलित वर्ग था। 2007 में मायावती ने 'भाईचारा सम्मेलनों' के ज़रिए ब्राह्मण, मुस्लिम और ओबीसी समुदायों को जोड़कर सोशल इंजीनियरिंग की थी। अब वह उसी फॉर्मूले को फिर से दोहराने की कोशिश कर रही हैं।" बसपा के इस चौथे आयोजन को दलित (डी), पिछड़ा (पी) और अल्पसंख्यक (ए) वर्गों को साधने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। 29 अक्टूबर को मुस्लिम ब्रदरहुड की बैठक के ज़रिए मायावती अल्पसंख्यक मतदाताओं को साधने की कोशिश कर रही हैं, जबकि 1 नवंबर की बैठक ओबीसी मतदाताओं पर केंद्रित होगी।
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