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Shashi Tharoor का Gandhi परिवार पर तंज, अब नेता नहीं, खानदानी वारिस चला रहे देश!

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कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने देश की राजनीति में परिवारवाद पर बड़ा बयान दिया है। थरूर ने कहा कि भारतीय राजनीति अब एक “फैमिली बिजनेस” बन चुकी है, जहां सत्ता और नेतृत्व को खानदानी विरासत की तरह आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने अपने लेख में सीधे तौर पर गांधी परिवार समेत कई बड़े नेताओं पर निशाना साधा है।

“राजनीति को बना दिया गया है पारिवारिक धंधा”
शशि थरूर ने ‘इंडियन पॉलिटिक्स आर ए फैमिली बिजनेस’ शीर्षक से लिखे अपने आर्टिकल में कहा कि वंशवाद और परिवारवाद भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा हैं। उन्होंने लिखा कि देश में राजनीति को इस तरह पेश किया जा रहा है जैसे ये किसी परिवार की निजी संपत्ति हो। थरूर के मुताबिक, “नेतृत्व करना अब योग्यता नहीं बल्कि जन्मसिद्ध अधिकार माना जाने लगा है, जिससे शासन की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ रहा है।”

गांधी परिवार पर थरूर का सीधा वार 
थरूर ने अपने लेख में साफ कहा कि दशकों तक भारत की राजनीति पर एक ही परिवार का दबदबा रहा है। उन्होंने लिखा, “नेहरू-गांधी परिवार का प्रभाव, जिसमें जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं, भारत के इतिहास में गहराई से जुड़ा है। लेकिन इसने ये सोच मजबूत कर दी कि राजनीतिक नेतृत्व एक विरासत बन गया है।” थरूर का ये बयान कांग्रेस के भीतर भी हलचल मचा रहा है, क्योंकि उन्होंने अपनी ही पार्टी के शीर्ष परिवार को सीधे तौर पर घेरा है।

ममता और मायावती पर भी साधा निशाना
थरूर ने केवल कांग्रेस पर ही नहीं बल्कि अन्य दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने लिखा कि ममता बनर्जी और मायावती जैसी नेता, जिनके कोई सीधे उत्तराधिकारी नहीं हैं, उन्होंने भी अपने भतीजों को वारिस बना दिया। थरूर ने कहा, “जब राजनीति का आधार परिवार बन जाता है तो लोकतंत्र कमजोर हो जाता है और जनता की भागीदारी सीमित हो जाती है।” 

“परिवारवाद की जगह योग्यता को मिले अहमियत”
थरूर ने लेख में आगे कहा कि अब समय आ गया है कि भारत की राजनीति में परिवारवाद की जगह योग्यता को महत्व दिया जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि पार्टियों में आंतरिक चुनाव प्रणाली मजबूत की जाए और नेताओं के पदों की एक समय सीमा तय की जाए। थरूर ने लिखा, “जब तक राजनीति परिवारों की जागीर बनी रहेगी, तब तक लोकतंत्र का असली मतलब जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए शासन — अधूरा ही रहेगा।”

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