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NDA की भारी जीत के बाद बड़ा सवाल… बिहार का सीएम कौन? BJP का संकेत साफ, फिर लौट सकते हैं नीतीश कुमार

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बिहार विधानसभा चुनाव के रुझानों ने साफ कर दिया है कि राज्य में एक बार फिर एनडीए की लहर चली है. भाजपा, जदयू और सहयोगी दलों ने मिलकर शानदार प्रदर्शन किया है. लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि बिहार की कमान किसके हाथ में जाएगी. क्या भाजपा पहली बार अपना सीएम बनाएगी या फिर नीतीश कुमार ही राज्य की बागडोर संभालेंगे. पटना की सड़कों पर लगे पोस्टर और भाजपा से निकलकर आ रही हलचल इस सवाल का जवाब पहले ही देती दिख रही हैं.

पोस्टरों ने बढ़ाई चर्चा, नीतीश के नाम पर दिखा जोर
पटना में कई जगहों पर ‘बिहार मतलब नीतीश कुमार’ वाले पोस्टर लगाए गए हैं. इन पोस्टरों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है. भाजपा सूत्रों के मुताबिक, पार्टी का झुकाव फिर से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद देने की ओर है. चुनाव से पहले भी गठबंधन में सहमति थी कि नीतीश ही चेहरा बने रहेंगे. अब रुझानों ने इस बात को और मजबूत कर दिया है.

NDA का शानदार प्रदर्शन, BJP सबसे बड़ी पार्टी बनी
रुझानों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. दोपहर तक चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार भाजपा लगभग 90 सीटों पर आगे है. पिछली बार की तुलना में भाजपा ने इस चुनाव में और ताकतवर उपस्थिति दर्ज कराई है. दूसरी तरफ जदयू ने भी इस बार जबरदस्त वापसी की है. 2020 में सिर्फ 43 सीटें जीतने वाली जदयू इस बार 83 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. ये नतीजे दिखाते हैं कि बिहार में एनडीए की पकड़ अभी भी मजबूत है.

नीतीश की पार्टी की बड़ी वापसी
इस चुनाव में सबकी नजर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू पर थी. पिछले चुनाव में मिली कम सीटों ने पार्टी की स्थिति कमजोर कर दी थी. लेकिन इस बार नतीजे बिल्कुल उलट हैं. जदयू उन सीटों पर भी आगे है, जहां पिछली बार कड़ी टक्कर मिली थी. जमीनी स्तर पर किए गए काम, महिलाओं और ग्रामीण इलाकों में पार्टी की पकड़ ने उन्हें बड़ी बढ़त दिलाई है. जदयू के मजबूत प्रदर्शन से ये साफ है कि गठबंधन में उनकी भूमिका पहले से ज्यादा अहम होने वाली है.

क्या BJP से होगा सीएम चेहरा? 
हालांकि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है, लेकिन पार्टी के भीतर से जो संदेश मिल रहे हैं, उसके मुताबिक वे अपने नेता को सीएम बनाने की बजाय गठबंधन धर्म निभाना चाहती हैं. भाजपा जानती है कि बिहार की राजनीति में नीतीश का अनुभव और प्रशासनिक पकड़ बेहद महत्त्वपूर्ण है. इसी वजह से पार्टी राज्य की स्थिरता बनाए रखने के लिए उन्हें ही आगे बढ़ाने पर सहमत दिख रही है.

नतीजों के बाद तस्वीर होगी साफ
फाइनल नतीजे आने के बाद एनडीए नेतृत्व की बैठक होगी. फैसला वहीं होगा. लेकिन फिलहाल संकेत साफ हैं कि बिहार की गद्दी एक बार फिर नीतीश कुमार के पास ही जाने वाली है. भाजपा की बढ़त और जदयू की शानदार वापसी ने गठबंधन की ताकत बढ़ाई है. ऐसे में बिहार के अगले मुख्यमंत्री का नाम तय करना अब सिर्फ औपचारिकता जैसा लग रहा है.

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