बिहार चुनाव में NDA की विशाल बढ़त, महागठबंधन 50 के अंदर सिमटा, विपक्ष बोला– नतीजों से चौंकने की जरूरत नहीं
- Shubhangi Pandey
- 14 Nov 2025 04:53:10 PM
बिहार विधानसभा चुनाव के रुझानों ने राजनीतिक माहौल गर्म कर दिया है. 243 सीटों में से एनडीए दो सौ के करीब पहुंचता दिख रहा है. चुनाव आयोग के ताज़ा आंकड़ों में भाजपा लगभग 90 और जेडीयू करीब 80 सीटों पर आगे है. दूसरी तरफ राजद 28 और कांग्रेस सिर्फ 5 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. महागठबंधन के लिए ये आंकड़े किसी झटके से कम नहीं हैं क्योंकि विपक्ष 50 के अंदर ही सिमटता दिखाई दे रहा है.
विपक्ष का चुनाव आयोग पर हमला
रुझान आते ही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा के साथ चुनाव आयोग पर भी गंभीर आरोप लगा दिए. उन्होंने X पर पोस्ट लिखते हुए कहा कि बिहार चुनाव ने SIR के खेल को उजागर कर दिया है और अब ये चाल देश के बाकी राज्यों में नहीं चल पाएगी. अखिलेश ने लिखा कि पीडीए का ‘PPTV प्रहरी’ हर गतिविधि पर नजर रखेगा ताकि भाजपा की चालें फेल हों. उन्होंने फिर दोहराया कि “भाजपा दल नहीं छल है.”
कांग्रेस बोली– ये NDA की नहीं, SIR और आयोग की जीत
कांग्रेस नेता उदित राज ने भी चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा कर दिया. उनका कहना है कि बिहार में वोट चोरी हुई है और नतीजे पहले से तय थे. उन्होंने कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र में भी इसी तरह का खेल हुआ था. उदित राज ने दावा किया कि विपक्ष ने मतदाता सूची और मतदान प्रक्रिया में अनियमितता पर कई आपत्तियां दर्ज कराईं, लेकिन आयोग ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया.
भूपेश बघेल का तंज– मतदाता सूची से 64 लाख नाम काटे गए
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल ने भी चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि मतदाता सूची से 64 लाख नाम हटा दिए गए और जो नए 16 लाख आवेदन आए उनमें भी 21 लाख नाम जोड़ दिए गए. बघेल ने इसे ‘बेतहाशा धांधली’ करार दिया.
संजय राउत बोले– नतीजों पर चौंकना नहीं चाहिए
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने कहा कि बिहार के नतीजे देखकर किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए. उनके मुताबिक भाजपा और चुनाव आयोग की जो भूमिका पिछले कुछ साल से दिखाई दे रही है उसके आधार पर ये नतीजे बिल्कुल अनुमानित थे. उन्होंने इसे महाराष्ट्र वाले पैटर्न जैसा बताया जहां सत्ता में आने की उम्मीद रखने वाला गठबंधन 50 के भीतर ही खत्म हो गया था. बिहार के रुझानों ने राजनीतिक हलकों में बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या विपक्ष आरोपों की आंधी के बीच खुद को फिर से संगठित कर पाएगा या एनडीए की ये लहर आगे भी जारी रहेगी।
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