IND vs PAK मैच पर पहलगाम पीड़ितों का गुस्सा, “आतंकवाद को फंडिंग दे रहे हो, शर्म करो BCCI”
- Shubhangi Pandey
- 14 Sep 2025 06:20:50 PM
एशिया कप 2025 में आज भारत और पाकिस्तान के बीच दुबई में होने वाला मुकाबला शुरू होने से पहले ही विवादों में घिर गया है. वजह है जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ वो आतंकी हमला जिसमें 26 मासूमों की जान चली गई थी. उस दर्द को झेल रहे परिवार अब इस मैच को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. उनका कहना है कि पाकिस्तान से क्रिकेट खेलना मतलब आतंकवाद को परोक्ष रूप से ताकत देना है.
“मैच होना ही नहीं चाहिए था”
पहलगाम हमले में अपने परिवार को खो चुकीं असावरी जगदाले ने भावुक अंदाज में कहा कि ये मैच किसी भी हालत में नहीं होना चाहिए था. अभी हमले को 6 महीने भी नहीं हुए और अब भारत पाकिस्तान के साथ खेल रहा है. उन्होंने कहा कि BCCI को पीड़ितों के जख्मों की कोई परवाह नहीं है. इतना कुछ होने के बावजूद भी क्रिकेट का आयोजन होना बेहद शर्मनाक है.
“लोग मरे लेकिन इन्हें फर्क नहीं पड़ता”
असावरी ने साफ कहा कि जिनके अपने इस हमले में मारे गए वो दर्द समझ सकते हैं लेकिन जिनका नुकसान नहीं हुआ उन्हें फर्क ही नहीं पड़ता. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि शायद अब देशभक्ति का पैमाना भी पैसा हो गया है. अगर आपके घर का कोई इस हमले में मारा जाता तो शायद आप भी आज इस मैच का विरोध करते.
“आतंकवाद को फंडिंग हो रही है”
उन्होंने लोगों से अपील की है कि वो भारत-पाकिस्तान का ये मुकाबला न देखें. उनका कहना था कि ये मैच खेलकर और देख कर हम अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद को फंडिंग कर रहे हैं. पाकिस्तान जैसा देश जो आतंक को बढ़ावा देता है उसके साथ किसी भी स्तर पर संबंध नहीं रखने चाहिए. उन्होंने साफ कहा कि इस रिश्ते को खत्म करना ही देश के लिए सही होगा.
क्रिकेटरों पर भी उठाए सवाल
असावरी ने भारतीय क्रिकेटरों को भी आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि कुछ खिलाड़ियों ने मैच न खेलने की बात की थी लेकिन बाकी जो खेलने के लिए तैयार हैं उनसे सवाल है कि क्या आपको लगता है कि आप सच में हीरो हो. आप उस देश के खिलाफ खेल रहे हो जिसके हाथ हमारे लोगों के खून से रंगे हैं. अगर ये सब सिर्फ पैसों के लिए कर रहे हो तो मत करो. हमारे घावों पर नमक मत छिड़को.
भारत-पाकिस्तान मैच हमेशा हाईवोल्टेज मुकाबला माना जाता है लेकिन इस बार इसके पीछे एक गहरी पीड़ा और गुस्सा छिपा है. पहलगाम के पीड़ित परिवारों की आवाज साफ कहती है कि जब तक आतंक का दर्द बाकी है तब तक खेल और रिश्तों की बात बेमानी है. अब देखना ये होगा कि इस भावनात्मक अपील पर देश की जनता और क्रिकेट बोर्ड कितना ध्यान देता है.
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