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World Athletics Championship 2025: नीरज चोपड़ा और नदीम रेस से बाहर, सचिन यादव ने जीता दिल

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टोक्यो में चल रही वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2025 में भारत के जैवलिन थ्रो खिलाड़ियों से बड़ी उम्मीदें थीं। खासकर ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा पर सबकी नजरें थीं, लेकिन फाइनल मुकाबले में उनका प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका। नीरज ने अपने करियर का औसत प्रदर्शन किया और 84.03 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ आठवें स्थान पर रहे।

नीरज चोपड़ा का निराशाजनक प्रदर्शन
ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा से देश को इस बार भी पदक की आस थी। फाइनल में उन्होंने शुरुआत ठीक-ठाक की लेकिन आगे जाकर वो लय हासिल नहीं कर पाए। उनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो 84.03 मीटर रहा, जो उन्हें सिर्फ आठवें स्थान तक ले जा सका। नीरज को उम्मीद थी कि वे 88-90 मीटर तक थ्रो कर पाएंगे, लेकिन दबाव और परिस्थितियों के बीच वे अपनी रफ्तार नहीं पकड़ सके।

नदीम भी टॉप-6 से बाहर
पाकिस्तान के स्टार खिलाड़ी अरशद नदीम, जिन्हें नीरज का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना जाता है, उनका प्रदर्शन भी फीका रहा। नदीम फाइनल में टॉप-6 में जगह बनाने में नाकाम रहे और शुरुआती राउंड्स में ही बाहर हो गए। इससे साफ है कि इस बार जैवलिन फाइनल पूरी तरह अप्रत्याशित नतीजों से भरा रहा।

सचिन यादव ने जीता दिल
भारत के एक और खिलाड़ी सचिन यादव ने अपने खेल से सबका ध्यान खींचा। उन्होंने बेहतरीन थ्रो किए और चौथे स्थान तक पहुंचे। सचिन का प्रदर्शन काबिल-ए-तारीफ रहा क्योंकि उन्होंने दिग्गज खिलाड़ियों के बीच मजबूती से मुकाबला किया। हालांकि वे मेडल से चूक गए, लेकिन चौथा स्थान हासिल कर उन्होंने यह साबित कर दिया कि आने वाले समय में वे देश के लिए बड़ी उम्मीद बन सकते हैं।

कौन बना चैंपियन?
फाइनल में गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज पदक की रेस कड़ी रही। टॉप खिलाड़ियों ने 87 मीटर से ज्यादा दूरी तक थ्रो किए। यूरोप के एक एथलीट ने गोल्ड अपने नाम किया जबकि सिल्वर और ब्रॉन्ज क्रमशः अमेरिकी और जापानी खिलाड़ियों ने हासिल किए। सचिन यादव सिर्फ कुछ मीटर पीछे रहे और चौथे स्थान पर रहकर पदक से चूक गए।

भारतीय एथलेटिक्स के लिए सबक
हालांकि नीरज चोपड़ा और अरशद नदीम जैसे बड़े नाम इस बार उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए, लेकिन सचिन यादव जैसे नए खिलाड़ी का उभरना भारतीय एथलेटिक्स के लिए सकारात्मक संकेत है। नीरज पहले ही देश के लिए ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल ला चुके हैं। ऐसे में सचिन जैसे युवाओं का आगे आना भारत की जैवलिन थ्रो परंपरा को मजबूत करेगा।

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