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संजू सैमसन वनडे टीम से बाहर, क्या अजीत अगरकर का तर्क सही है?

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भारतीय क्रिकेट टीम के चयन में हाल ही में हुए निर्णय ने फैंस और विशेषज्ञों के बीच बहस छेड़ दी है। अजीत अगरकर ने ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम का ऐलान करते हुए रोहित शर्मा को कप्तानी से हटाकर शुभमन गिल को नया कप्तान बनाया, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर हुई कि ऋषभ पंत की अनुपस्थिति में संजू सैमसन को टीम में नहीं बुलाया गया। इसके बजाय ध्रुव जुरेल को बैकअप विकेटकीपर के रूप में टीम में शामिल किया गया।
2023 के बाद कोई वनडे मैच नहीं खेला

संजू सैमसन ने दिसंबर 2023 के बाद से भारत के लिए कोई वनडे मैच नहीं खेला है। उनका आखिरी वनडे दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पार्ल में खेला गया, जिसमें उन्होंने 108 रनों की शानदार पारी खेली और यह उनका पहला शतक था। उस श्रृंखला में भारत ने केएल राहुल की कप्तानी में श्रृंखला का निर्णायक मैच 78 रनों से जीत लिया था।

हालांकि, पिछले एक साल में भारत को 50 ओवर के प्रारूप में केवल तीन सीरीज खेलने का मौका मिला । अगस्त 2024 में श्रीलंका का विदेशी दौरा, इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला और चैंपियंस ट्रॉफी में भी। इस दौरान वो टीम के मुख्य विकेटकीपर बने रहे, जबकि पंत चोटिल होने के बाद दूसरी पसंद के विकेटकीपर थे। पंत ने तीनों मैचों में केवल एक ही खेला। ऐसे में सवाल उठता है कि सैमसन को टीम में क्यों नहीं बुलाया गया।

अजीत अगरकर ने इस निर्णय को यह कहते हुए सही ठहराया कि टीम को मध्य क्रम में बल्लेबाज और विकेटकीपर की जरूरत थी। उनका कहना था कि सैमसन ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी करते हैं, जबकि ध्रुव जुरेल निचले क्रम के बल्लेबाज हैं। अगरकर के अनुसार, वनडे टीम में सैमसन को फिट करना मुश्किल था क्योंकि इस प्रारूप में मध्य क्रम में जगह नहीं थी।

लेकिन सच्चाई यह है कि संजू सैमसन ने अपने वनडे करियर में अधिकतर मैच पांचवें नंबर या उससे नीचे बल्लेबाजी करते हुए खेले हैं। 14 मैचों में 10 बार उन्होंने मध्य या निचले क्रम में बल्लेबाजी की, जहां केएल राहुल खेलते हैं। इस दौरान सैमसन ने 59.20 की औसत और 101.36 के स्ट्राइक रेट से 296 रन बनाए, जिसमें दो अर्धशतक शामिल हैं। उनके प्रदर्शन को देखकर यह कहना कि मध्य क्रम में उन्हें जगह नहीं है थोड़ा विरोधाभासी लगता है।

टी20 प्रारूप में भी यही मामला देखा गया। एशिया कप में सैमसन ने सलामी बल्लेबाज के रूप में शुरुआत की, लेकिन बाद में पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी की। उन्हें निचले मध्यक्रम में फिट करने की कोशिश की गई, लेकिन वनडे में इस भूमिका के लिए मौका नहीं दिया गया।

संजू सैमसन का वनडे रिकॉर्ड और उनके मध्य क्रम में प्रदर्शन यह साबित करता है कि अगर टीम उन्हें मौका देती, तो वे सफल हो सकते थे। ऐसे में अजीत अगरकर का तर्क कि सैमसन ऊपरी क्रम के बल्लेबाज हैं और टीम में उनकी जगह नहीं, पूरी तरह से तथ्यात्मक नहीं लगता।

बता दें कि संजू सैमसन को टीम में न लेने के पीछे दिए गए तर्क में विरोधाभास साफ दिखाई देता है। उनके वनडे करियर के आंकड़े और मध्य क्रम में प्रदर्शन इस बात के पक्ष में हैं कि टीम उन्हें मौके दे सकती थी। टी20 और वनडे के प्रदर्शन के बीच फर्क को आधार बनाकर उन्हें टीम में शामिल न करना क्रिकेट फैंस के लिए चौंकाने वाला निर्णय रहा है।

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